Friday, 6 January 2012

हमारी हिँन्दु फिलोसोफी

हमारी हिन्दू फिलोसोफी कृष्ण के प्रति राधा के प्यार का जिक्र किये बिना आगे जा ही नहीं सकती
उसी के बारे में एक छोटीसी कल्पना , उनका प्रेम सिर्फ शब्दों से बयां नहीं हो सकता उसे शब्दों में ढालना मतलब
हवा को पकड़ में लेने की नाकामयाब कोशिश करने जैसा हें| पर फिर भी एक प्रयत्न उन दो प्रेमियों के नाम जिनके प्रेम के कारन
उनका दोनों का प्रेम नाम, मंत्र के रूप में अखिल विश्वभर में जाना जाता हें .....
राधा आकाश , कृष्ण तारे ;
राधा पानी , कृष्ण मछली ;
राधा गाना , कृष्ण शब्द ;
राधा ओठ , कृष्ण हँसी ;
राधा कवी , कृष्ण कल्पना ;
राधा नयन , कृष्ण आंसू ;
राधा देह , कृष्ण आत्मा ;
राधा भाल , कृष्ण बिंदी ;
राधा हाथ , कृष्ण मेहंदी ;
राधा फुल , कृष्ण गंध ;
राधा वृक्ष , कृष्ण पत्ते ;
राधा आँखे , कृष्ण दृश्य ; सबसे प्यारी कल्पना कौनसी हो सकती हें तो वोहें ,
राधा सीपी ,कृष्ण मोती.......
प्रेमियोंकी एक दुसरे प्रति एकही भावना होती हें,के में कही भी ,कैसे भी रहू नजर
भले ही 'देह' मेरी आये पर उसदेह में सिर्फ और सिर्फ तुम्हाराही अस्तित्व था,हें और हमेशा रहेगा ! राधा का अस्तित्व ही कृष्ण के लिए था इसलिए तो सीपी ही सही ,पर आज भी वो कृष्ण के साथ पूजी जाती हें अपने अजरामर प्रेम के वजह से......
इसलिए तो लोग कहते हें ....राधा रमण हरी गोविन्द बोलो... , जो इतने युगों बाद आज भी राधा में ही रममाण हें वो गोविन्द...... वो राधा जिसने गोविन्द को भी रममाण होने के लिए वजह दी, एक जगह दी और वो गोविन्द जिनके लिए सारे बंधन छोड़ के सब त्याग के राधा आई थी ऐसे.....
"गोविन्द बोलो हरी गोपाल बोलो राधा रमण हरी गोविन्द बोलो........

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